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यूपीएससी का दूसरा नाम है “अनिश्चितता”

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दलाव समय का नियम है और यह सिविल सेवा परीक्षा पर भी लागू होता है। सिविल सेवा परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों की शैली में अंतर हो सकता है अभ्यर्थियों के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों में भी तकनीक का अंतर या उनकी सोच में अंतर है !

वास्तव में यहाँँ 30 वर्षों का अंतर है।यह बहुत बड़ा समय काल है! एक बहुत बड़ा पीढियों का अंतर। तो, जाहिर है कि पिछली परीक्षा से सब कुछ अलग होगा। नए पैटर्न, नई चुनौतियाँ, नई मानसिकता और काम करने की नई शैली।

2020 अपनी नई चुनौतियों की श्रेणी के साथ अलग होगा- 1999 के दौरान मौजूद चुनौतियां 2020 की तुलना में बहुत उच्च स्तर पर थीं। आज हमने बहुत सुधार किया है। इन 30 वर्षों में भारत बहुत बदल गया। हमने कई समस्याओं से निपट लिया है और अभी भी कई चुनौतियों से लड़ रहे हैं। इसलिए प्रश्न-पत्र की प्रकृति भी समय और इसकी आवश्यकताओं के समानांतर में बदल जाएगी।

तकनीक का अंतर- 1990 की तुलना में 2020 तकनीकी रूप से बहुत उन्नत होगा। यह परीक्षा के संचालन के मामले में एक बड़ा अंतर बनाता है। तैयारी करने का तरीका, प्रश्नपत्र का निर्माण, प्रश्नपत्रों के प्रकार एवं परिधि से लेकर आवेदन करने का तरीका एवं परीक्षा में लिखने का तरीका, सबकुछ 2020 में और उन्नत हो चुका होगा।

और हाँ एक और अंतर यह होगा कि 2020 में प्रतिद्वंद्विता सातवें आसमान पर होगी! समय बीतने के साथ ही इस परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों की संख्या कई गुणा बढ़ गई है इसलिए साथ ही साथ परीक्षा की जटिलता भी कई गुणा बढ़ गई।

मुझे याद है जब मेरे एक रिश्तेदार जो कि सेवानिवृत्त सिविल सेवक हैं, उन्होंने जब इस साल का प्रीलिम्स पेपर देखा तो मुझे बताया कि उनके समय में इस तरह के प्रश्न मौजूद नहीं थे।आज सवाल अधिक मुश्किल, भ्रमित और गतिशील हो गए हैं। 2020 में हम केवल यह और ज्यादा जटिल होने की उम्मीद कर सकते हैं!

सन २०१३ से लेकर सन २०१८ तक के सिविल सर्विसेस के प्रश्नपत्र पढ़ लीजिए। समझ में आयेगा कि एक साल में ही अंतर इतना बड़ा होता है कि उसकी तकनीक का पता लगाते लगाते दूसरा बर्ष अजाता है, और दुसरे साल का प्रश्न बिल्कुल अलग!

यही तो यूपीएससी की विशेषता है। तो यह दशंधी का सोचकर क्यों सर पीटना। क्या पता पूरी ढांचा ही पलट जाए। और फिर दुनिया जितनी तेजी से बदल रहा है, उससे हिसाब से साधारण ज्ञान तो शो मिल आगे दौड़ता रहता है। उसको पकड़ते पकड़ते दम छूट जाता है इंसान का।

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