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गायत्री मंत्र से विविध शारीरिक एवं मानसिक रोगों में लाभ

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मंत्र से विविध शारीरिक एवं मानसिक रोगों (various physically and mentally problems) में लाभ मिलता है। यह बात अब विशेषज्ञ भी मानने लगे हैं कि मनुष्य के शरीर के साथ-साथ यह समग्र सृष्टि ही वैदिक स्पंदनों से निर्मित है। शरीर में जब भी वायु-पित्त-कफ नामक त्रिदोषों में विषमता से विकार पैदा होता है तो मंत्र चिकित्सा द्वारा उसका सफलता पूर्वक उपचार किया जाना संभव है।

अमेरिका (America) के ओहियो यूनिवर्सिटी (Ohio University) के शोधकर्ताओं के अनुसार कैंसरयुक्त फेफड़ों, आंत, मस्तिष्क, स्तन, त्वचा और फाइब्रो ब्लास्ट की लाइनिंग्स पर जब सामवेद के मंत्रों और हनुमान चालीसा के पाठ का प्रभाव परखा गया तो कैंसर की कोशिकाओं की वृद्धि में भारी गिरावट आई। इसके विपरीत तेज गति वाले पाश्चात्य और तेज ध्वनि वाले रॉक संगीत से कैंसर की कोशिकाओं में तेजी के साथ बढ़ोतरी हुई।

मंत्र चिकित्सा (mantra Treatment) के लगभग पचास रोगों के पांच हजार मरीजों पर किए गए क्लीनिकल परीक्षणों के अनुसार दमा, अस्थमा रोग में सत्तर प्रतिशत, स्त्री रोगों में 65 प्रतिशत, त्वचा एवं चिंता संबंधी रोगों में साठ प्रतिशत, उच्च रक्तदाब, हाइपरटेंशन से पीड़ितों में पचपन प्रतिशत, आर्थराइटिस में इक्यावन प्रतिशत, डिस्क संबंधी समस्याओं में इकतालीस प्रतिशत, आंखों के रोगों में इकतालीस प्रतिशत तथा एलर्जी की विविध अवस्थाओं में चालीस प्रतिशत औसत लाभ हुआ। निश्चित ही मंत्र चिकित्सा उन लोगों के लिए तो वरदान ही है जो पुराने और जीर्ण क्रॉनिक रोगों से ग्रस्त हैं।

कहा गया है कि जब भी कोई व्यक्ति गायत्री मंत्र (gaytri mantra) का पाठ करता है तो अनेक प्रकार की संवेदनाएं इस मंत्र से होती हुई व्यक्ति के मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं। जर्मन वैज्ञानिक (German Scientist) कहते हैं कि जब भी कोई व्यक्ति अपने मुंह से कुछ बोलता है तो उसके बोलने में आवाज का जो स्पंदन और कंपन होता है, वह 175 प्रकार का होता है। जब कोई कोयल पंचम स्वर में गाती है तो उसकी आवाज में 500 प्रकार का प्रकंपन होता है लेकिन जर्मन वैज्ञानिक (german scientist) यह भी कहते हैं कि दक्षिण भारत (south india) के विद्वानों से जब विधिपूर्वक गायत्री मंत्र का पाठ कराया गया, तो यंत्रों के माध्यम से यह ज्ञात हुआ कि गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) का पाठ करने से संपूर्ण स्पंदन के जो अनुभव हुए, वे 700 प्रकार के थे।

जर्मन वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति पाठ नहीं भी करे, सिर्फ पाठ सुन भी ले तो भी उसके शरीर पर इसका प्रभाव पड़ता है। उन्होंने मनुष्य की आकृति का छोटा सा यंत्र बनाया और उस आकृति में जगह-जगह कुछ छोटी-छोटी लाइटें लगा दी गईं। लाइट (light) लगाने के बाद यंत्र के आगे लिख दिया कि यहां पर खड़ा होकर कोई आदमी किसी भी तरह की आवाजें निकालें तो उस आवाज के हिसाब से लाइटें मनुष्य की आकृति में जलती नजर आएंगी, लेकिन अगर किसी ने जाकर गायत्री मंत्र बोल दिया तो पांव से लेकर सिर (from legs to head) तक सारी की सारी लाइटें एक साथ जलने लग जाती है। दुनियाभर के मंत्र और किसी भी प्रकार की आवाजें निकालने से यह सारी की सारी लाइटें नहीं जलतीं। एक गायत्री मंत्र बोलने से सब जलने लग जाती हैं क्योंकि इसके अंदर जो वाइब्रेशन (vibrations) है, वह अद्भुत है।

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