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बेरोजगारों और प्रवासी श्रमिकों के लिए अगरबत्ती उत्पादन क्षेत्र में रोजगार के लिए एक नई योजना को मंजूरी

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केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने अगरबत्ती उत्पादन में भारत को आत्म-निर्भर बनाने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा प्रस्तावित एक अद्वितीय रोजगार सृजन कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है। ‘खादी अगरबत्ती आत्म-निर्भर मिशन’ नाम के इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश के विभिन्न हिस्सों में बेरोजगारों और प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार पैदा करना और घरेलू अगरबत्ती उत्पादन में पर्याप्त तेजी लाना है।

इस प्रस्ताव को पिछले महीने मंजूरी के लिए एमएसएमई मंत्रालय के समक्ष रखा गया था। प्रायोगिक परियोजना जल्द ही शुरू की जाएगी। इस परियोजना के पूर्ण कार्यान्वयन होने पर अगरबत्ती उद्योग में हजारों की संख्या में रोजगार के अवसर का सृजन होगा। निजी सार्वजनिक मोड पर केवीआईसी द्वारा बनाई गई यह योजना इस मायने में अद्वितीय है कि बहुत कम निवेश में ही यह स्थायी रोजगार का सृजन करेगा और निजी अगरबत्ती निर्माताओं को उनके बिना किसी पूंजी निवेश के अगरबत्ती का उत्पादन बढ़ाने में मदद करेगी। इस योजना के तहत, केवीआईसी सफल निजी अगरबत्ती निर्माताओं के माध्यम से कारीगरों को अगरबत्ती बनाने की स्वचालित मशीन और पाउडर मिक्सिंग मशीन उपलब्ध कराएगा जो व्यापार भागीदारों के रूप में समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। केवीआईसी ने केवल स्थानीय रूप से भारतीय निर्माताओं द्वारा निर्मित मशीनों की खरीद का फैसला किया है, जिसका उद्देश्य स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित करना भी है।

केवीआईसी मशीनों की लागत पर 25% सब्सिडी प्रदान करेगा और कारीगरों से हर महीने आसान किस्तों में शेष 75% की वसूली करेगा। व्यापार भागीदार कारीगरों को अगरबत्ती बनाने के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराएगा और उन्हें काम के आधार पर मजदूरी का भुगतान करेगा। कारीगरों के प्रशिक्षण की लागत केवीआईसी और निजी व्यापार भागीदार के बीच साझा की जाएगी, जिसमें केवीआईसी लागत का 75% वहन करेगा, जबकि 25% व्यापार भागीदार द्वारा भुगतान किया जाएगा। अगरबत्ती बनाने की प्रत्येक स्वचालित मशीन प्रति दिन लगभग 80 किलोग्राम अगरबत्ती बनाती है जिससे 4 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। अगरबत्ती बनाने की पांच मशीनों के सेट पर एक पाउडर मिक्सिंग मशीन दी जाएगी, जिससे 2 लोगों को रोजगार मिलेगा।

अभी अगरबत्ती बनाने की मजदूरी 15 रुपये प्रति किलोग्राम है। इस दर से एक स्वचालित अगरबत्ती मशीन पर काम करने वाले 4 कारीगर 80 किलोग्राम अगरबत्ती बनाकर प्रतिदिन न्यूनतम 1200 रुपये कमाएंगे। इसलिए प्रत्येक कारीगर प्रति दिन कम से कम 300 रुपये कमाएगा। इसी तरह पाउडर मिक्सिंग मशीन पर प्रत्येक कारीगर को प्रति दिन 250 रुपये की निश्चित राशि मिलेगी। योजना के अनुसार, व्यापार भागीदारों द्वारा साप्ताहिक आधार पर कारीगरों को मजदूरी सीधे उनके खातों में केवल प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से प्रदान की जाएगी। कारीगरों को कच्चे माल की आपूर्ति, लॉजिस्टिक्स, गुणवत्ता नियंत्रण और अंतिम उत्पाद का विपणन करना केवल व्यापार भागीदार की जिम्मेदारी होगी। मशीन की शेष 75% लागत की वसूली के बाद इसका मालिकाना हक स्वत: कारीगरों को स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

इस संबंध में पीपीपी मोड पर परियोजना के सफल संचालन के लिए केवीआईसी और निजी अगरबत्ती निर्माता के बीच दो-पक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। इस योजना को दो प्रमुख फैसलों – अगरबत्ती के कच्चे माल पर आयात प्रतिबंध और बांस के डंडों पर आयात शुल्क में बढ़ोत्‍तरी, को देखते हुए बनाया गया। ये फैसले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की पहल पर क्रमश: वाणिज्य मंत्रालय और वित्त मंत्रालय द्वारा लिए गए। इस कार्यक्रम का उद्देश्य कारीगरों का साथ देना और स्थानीय अगरबत्ती उद्योग की मदद करना है। देश में अगरबत्ती की वर्तमान खपत लगभग 1490 मीट्रिक टन प्रतिदिन है। हालांकि, भारत में अगरबत्ती का उत्पादन प्रतिदिन केवल 760 मीट्रिक टन ही है। मांग और आपूर्ति के बीच बहुत बड़ा अंतर है। इसलिए, इसमें रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं हैं।

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