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भारतीय संविधान की मूल प्रतियों को भारत की संसद की लाइब्रेरी में विशेष “हीलियम” से भरे डिब्बों में क्यों रखा जाता है

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हीलियम गैस एक निष्क्रिय और गैर प्रतिक्रियाशील है जो किसी भी कार्बनिक और अकार्बनिक प्राकृतिक प्रतिक्रिया का समर्थन नहीं करता। इस के साथ इस लिए रखा जाता है क्यूंकि ऑक्सीजन कागज और स्याही के साथ प्रतिक्रिया करता है और उन्हें खराब कर सकता है, हीलियम गैस उनके साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है और खराब होने से रोकता है और हमारे संविधान की मूल प्रति को उसके मूल रूप में बनाए रखने में मदद करता है। इसलिए संविधान की मूल प्रति को संरक्षित रखने के लिए हीलियम से भरे डिब्बे में रखा जाता है।

पुराने दस्तावेज ज़्यादातर हस्तलिखित होते है और उनकी एक ही ओरिजिनल प्रति होती है। ऐसे में समय के साथ इन दस्तावेज़ों को सहेज कर रखना चुनौतीपूर्ण कार्य है। भारतीय संविधान को प्रेमबिहारी नारायण रायजादा ने अपने हाथों से लिखा है। वो हस्तलिपि (कैलीग्राफी) के उस्ताद माने जाते थे।

चित्र : प्रेमबिहारी नारायण रायजादा
चित्र : डॉ राजेंद्र प्रसाद संविधान की पहली प्रति देखते हुए

हीलियम का इस्तेमाल क्यों किया गया?

जिन दस्तावेज़ों को लंबे समय तक सहेज कर रखना हो उन्हें अगर यूँ खुले में छोड़ दिया जाए तो। धीरे धीरे वो खराब हो जाएंगे। जिस स्याही का इस्तेमाल लिखने के लिए किया जाता है वो ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया करती है और समय के साथ धूमिल होती जाती है।

इस तरह के प्राकृतिक क्षय से बचने के लिए एक विशेष डिब्बे या पेटी का इस्तेमाल किया जाता है जिसे ऑक्सिजन विहीन पेटी (anoxic case) कहा जाता है। इसे विशेष तरह से डिज़ाइन किया जाता है। यह केस पूरी तरह से सील होता है और इसके अंदर दस्तावेज़ को रख कर उसमे हीलियम भरी जाती है। हीलियम एक निष्क्रिय गैस है जो कागज़ और स्याही से प्रतिकिया नही करता।

चित्र : हीलियम से भरे केस जिसके संविधान की हिंदी अंग्रेजी की प्रतियां हैं।

यही क्रिया अन्य निष्क्रिय गैस जैसे कि आर्गन के साथ भी की जा सकती है।

चित्र : सन 1507 का वाल्डसीमुलर द्वारा आंका गया विश्व मानचित्र
चित्र : Anoxic encasement में कैद मानचित्र

यह फ्रांस में रखा गया है और यहां। आर्गन गैस का इस्तेमाल किया गया क्योंकि आर्गन का भार लगभग हवा के समतुल्य माना जाता है। ऐसी ही तकनीक औषधि कंपनियां अपनाती है। डब्बे में दवा डालने के बाद ऊपर का कुछ हिस्सा खाली बच जाता है। इस खाली स्थान में अगर हवा (ऑक्सीजन) हुई तो यह दवाओं से प्रतिक्रिया कर उनके गुणों को बदल सकता है। इसलिए उस खाली स्थान में नाइट्रोजन भर कर सील किया जाता है। इसे नाइट्रोजन पर्ज़िंग कहते हैं।

हीलीयम गैस इनर्ट गैस है जो किसी वस्तु से क्रिया नहीं करती। ऑक्सिजन जैसी गैस से काग़ज़ की सुरक्षा करती है। मूल प्रतियाँ बहुमूल्य धरोहर हैं। उनकी सुरक्षा महत्वपूर्ण है। हीलीयम का वातावरण कीट पतंगों से ऑक्सिजन की अनुपस्थिति के कारण सुरक्षा करता है।

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