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क्या होता है मानवीय कॉरिडोर, कौन स्थापित करता है मानवीय कॉरिडोर?

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रूस और यूक्रेन के बीच सोमवार को 12वें दिन भी युद्ध जारी है। इससे रूसी सेना से घिरे यूक्रेन के कई शहरों में मूलभूत चीजों की कमी आने लगी है। यूक्रेन ने मानवीय कॉरिडोर के जरिए लोगों को वहां से निकालने के लिए रूस से अस्थाई सीजफायर की मांग की है। इस पर रूस ने राजधानी कीव सहित चार शहरों में अस्थाई सीजफायर का ऐलान किया है। आइए जानते हैं क्या होता है मानवीय कॉरिडोर और इनका क्या महत्व है।

रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव के अलावा खारकीव, मारियुपोल और सुमी में अस्थायी सीजफायर का ऐलान किया है। यहां रूस के स्थानीय समय के अनुसार सुबह 10 से रात 9 बजे तक कोई हमला नहीं किया जाएगा। इस समय में इन शहरों में मानवीय कॉरिडोर बनाए जाएंगे और लोगों को वहां से सुरक्षित निकाला जाएगा। बता दें कि रूस ने शनिवार को भी मारियुपोल और वोल्नोवाखा में सीजफायर का ऐलान किया है, लेकिन यह सफल नहीं हो पाया था।

यूक्रेन ने कहा था कि रूस ने सीजफायर का उल्लंघन किया, जिसके कारण नागरिकों को सुरक्षित बाहर नहीं निकाला जा सका। वहीं, रूस ने यूक्रेन पर आम नागरिकों को ढाल की तरह इस्तेमाल करने और उन्हें शहरों से निकलने नहीं देने का आरोप लगाया था।

क्या होता है मानवीय कॉरिडोर?
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, मानवीय कॉरिडोर दो या उससे अधिक देशों के बीच चलने वाले सशस्त्र संघर्ष में अस्थायी विराम के कई संभावित रूपों में से एक है। युद्ध के अस्थायी विराम के दौरान मानवीय कॉरिडोर के लिए एक विशिष्ट क्षेत्र में निर्धारित समयावधि के लिए संघर्ष में शामिल देश किसी भी प्रकार का हमला न करने के लिए सहमत होते हैं। ऐसे में उस विशिष्ट अवधि के दौरान वह निर्धारित क्षेत्र पूरी तरह सुरक्षित होता है।

किसके लिए बनाया जाता है मानवीय कॉरिडोर?
युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में मानवीय कॉरिडोर का निर्माण वहां रहने वाले लोगों के लिए भोजन और चिकित्सा सहित अन्य आवश्यक सुविधाओं की आपूर्ति करने या फिर वहां फंसे लोगों की सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए किया जाता है। मानवीय कॉरिडोर की आवश्यक उस ही स्थिति में पड़ती है जब किसी शहर की घेराबंदी कर दी जाती है और वहां की बिजली, पानी, खाद सहित अन्य बुनियादी आपूर्ति को पूरी तरह से बाधित कर दिया जाता है।

मानवीय आपदाओं का समाधान है मानवीय कॉरिडोर
बता दें युद्ध के दौरान लोगों की मूलभूत सुविधाओं की आपूर्ति को बंद करना या फिर आम जनता को निशाना बनाते हुए बमबारी करना युद्ध के अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन माना जाता है। ऐसे में इससे बचने के लिए दोनों देश मानवीय कॉरिडोर बनाते हैं।

कौन स्थापित करता है मानवीय कॉरिडोर?
युद्ध के दौरान अधिकतर मौकों पर मानवीय कॉरिडोर के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा ही बातचीत की जाती है, लेकिन कभी-कभी आपस में भिड़ने वाले दोनों पक्षों के स्थानीय समूह भी इस पर चर्चा कर उन्हें स्थापित कराते हैं। हालांकि, मानवीय कॉरिडोर के लिए युद्ध में शामिल सभी पक्षों की सहमति जरूरी होती है, लेकिन इससे सैन्य या राजनीतिक दुरुपयोग का खतरा भी रहता है। इस दौरान कॉरिडोर के जरिए हथियारों और ईंधन की तस्करी भी की जा सकती है।

मानवीय कॉरिडोर तक पहुंच संघर्ष के पक्षों द्वारा निर्धारित की जाती है। यह आमतौर पर तटस्थ नायक, संयुक्त राष्ट्र या रेड क्रॉस जैसे सहायता संगठनों तक सीमित है। वहीं, मानवीय कॉरिडोर के लिए सीजफायर के समय की अवधि, क्षेत्र और ट्रक, बस या विमान सहित परिवहन के अन्य साधनों को गलियारे का इस्तेमाल करने की अनुमति भी निर्धारित करते हैं। हालांकि, दुर्लभ मामलों में मानवीय कॉरिडोर एक पक्ष द्वारा ही बनाया जाता है।

ये भी कर सकते हैं मानवीय कॉरिडोर का इस्तेमाल
युद्ध अपराध की सूचना मिलने पर युद्ध क्षेत्र में फंसे लोगों के साथ संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक, गैर सरकारी संगठन (NGO) और पत्रकार भी मानवीय कॉरिडोर का इस्तेमाल कर सकते हैं और उन्हें ऐसा करने से नहीं रोका जा सकता है।

अब तक कहां और कब हुई है मानवीय कॉरिडोर की स्थापना?
मानवीय कॉरिडोर की स्थापना 20वीं सदी के मध्य से की जा रही है। 1938 से 1939 तक तथाकथित किंडरट्रांसपोर्ट के दौरान यहूदी बच्चों को नाजी नियंत्रण वाले क्षेत्रों से निकालकर यूनाइटेड किंगडम भेजा गया था। 1992-1995 के दौरान बोस्निया के साराजेवो की घेराबंदी और 2018 में सीरिया के घोउटा से लोगों की निकासी के लिए मानवीय कॉरिडोर बनाए गए थे। इन गलियारों को युद्ध ग्रस्त इलाकों के लिए वरदान माना जाता है।

कई बार सफल नहीं हो पाए मानवीय कॉरिडोर के प्रयास
ऐसा नहीं कि हर बार ही मानवीय कॉरिडोर की स्थापना के लिए संबंधित पक्ष सहमत हो। यमन में चल रहे युद्ध में संयुक्त राष्ट्र अब तक मानवीय कॉरिडोर स्थापित करने के लिए वार्ताओं में सफल नहीं हो पाया है। यह बेहद गंभीर स्थिति होती है।

सीजफायर से भारत सुमी से छात्रों को निकालने में होगी आसानी
रूस के इस सीजफायर से भारत को काफी फायदा हो चुका है क्योंकि सुमी में उसके लगभग 700 छात्र फंसे हुए हैं। इलाके में लड़ाई के कारण इन छात्रों को निकाला नहीं जा सका है। अगर आज सीजफायर का पालन होता है तो भारत इन सभी छात्रों को निकालने में सफल रहेगा। अन्य जगहों से भारत ने अपने लगभग सभी छात्रों को निकाल लिया है, लेकिन अगर फिर भी कोई रह गया है तो आज उसे निकाला जा सकता है।

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